Saturday, 19 December 2015

नई लेंडिंग रेट प्रणाली


नई लेंडिंग रेट प्रणाली को “फण्ड्स की सीमांत लागत-आधारित लेंडिंग रेट” (‘Marginal Cost of Funds-based Lending Rate’) का नाम दिया गया है तथा इसे 1 अप्रैल 2016 से प्रभाव में लाया जायेगा। इस नई प्रणाली में लेंडिंग रेट्स को वर्तमान में प्रयोग में लाई जा रही फण्ड्स की औसत लागत व्यवस्था (average cost of funds system) के बजाय बैंकों को ऋण हासिल करने के दौरान लगने वाली सीमांत लागत (banks’ marginal cost of borrowing) के आधार पर तय किया जायेगा। इस नई व्यवस्था को इसलिए लागू किया जा रहा है ताकि बैंकों पर ब्याज दरों में आ रही कमी का लाभ अपने ग्राहकों को पहुँचाने के लिए दबाव डाला जा सके। उल्लेखनीय है कि RBI ने जनवरी 2015 से रेपो दर (Repo Rates) में कुल 125 आधार अंकों की कमी की है लेकिन बैंकों ने अपने लेंडिंग रेट्स में मात्र 60 आधार-अंकों की कमी कर अपने ग्राहकों को इसका समुचित लाभ प्रदान नहीं किया है। वहीं जमा दरों (deposit rates) में 100 से अधिक आधार अंकों की कमी कर दी गई है जिसका अर्थ हुआ कि ग्राहकों के लिए बैंकों में धन जमा करना कम लाभकारी हो गया है जबकि उनके द्वारा लिए गए ऋण के लिए उन्हें ब्याज में कमी का बहुत कम लाभ मिल पाया है।

No comments:

Post a Comment